Read About Vedic Civilization in Hindi



सिंधु घाटी सभ्यता के पश्चात भारत में जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ उसे ही वैदिक सभ्यता(Vedic Civilization) के नाम से जाना जाता है। इसका दूसरा नाम आर्य सभ्यता भी कहा जाता ही क्योकि इसमें सबसे शक्तिशाली वर्ग यही माना गया हैं | वैदिक सभ्यता का नाम ऐसा इस लिए पड़ा कि वेद उस काल की जानकारी का प्रमुख स्रोत हैं। वेद चार है - ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद। इनमें से ऋग्वेद की रचना सबसे पहले हुई थी।  वैदिक काल को ऋग्वैदिक या पूर्व वैदिक काल (1500 -1000 ई.पु.) तथा उत्तर वैदिक काल (1000 - 600 ई.पु.) में बांटा गया है।वैदिक काल, या वैदिक समय (1500 - 500 ईसा पूर्व), शहरी सिंधु घाटी सभ्यता के अंत और उत्तरी मध्य-गंगा में शुरू होने वाले एक दूसरे शहरीकरण के बीच उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में अवधि है।वैदिक समाज पितृसत्तात्मक और पितृसत्तात्मक था।वैदिक काल में सामाजिक वर्गों के वर्णानुक्रम का उदय हुआ जो प्रभावशाली रहेगा। वैदिक धर्म यज्ञ परक था तथा इस काल की वर्ण व्यवस्था कार्यानुसार थी। इस सभ्यता को ग्रामीण सभ्यता भी कहा जाता हैं | वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है- ऋग्वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल। बाल गंगाधर तिलक ने ज्योतिषीय गणना करके इसका काल 6000 ई.पू. माना था। हरमौन जैकोबी ने जहाँ इसे 4500 ईसापूर्व से 2500 ईसापूर्व के बीच आंका था वहीं सुप्रसिद्ध संस्कृत विद्वान विंटरनित्ज़ ने इसे 3000 ईसापूर्व का बताया था।


   वैदिक काल 


आर्या

  • वैदिक काल के निर्माता 
  • आर्यो का आगमन मध्य एशिया से हुआ था।
  • आर्यो की भाषा  संस्कृत मणि गयी हैं। 
  • यह एक भाषाई समूह है ,न कि नस्लीय समूह है।


वैदिक काल की मुख्य चार पुस्तके मानी गयी हैं -


ऋग्वेद

  • ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से सम्बंधित रचनाओं का संग्रह है। 
  • यह 10 मंडलों में विभाजित है। इसमे 2 से 7 तक के मंडल प्राचीनतम माने जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गए हैं। इसमें 1028 सूक्त हैं। 
  • इसकी भाषा पद्यात्मक (Poetic)  है। 
  • ऋग्वेद में 33 प्रकार के देवों (दिव्य गुणो से युक्त पदार्थो) का उल्लेख मिलता है। 
  • प्रसिद्ध गायत्री मंत्र जो सूर्य से सम्बंधित देवी गायत्री को संबोधित है, ऋग्वेद में सर्वप्रथम प्राप्त होता है। 
  • 'असतो मा सद्गमय ' वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है। इसका अर्थ है कि मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो. मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो 
  • ऋग्वेद में मंत्र को उच्चारित करने में स्त्रियों के नाम भी मिलते हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लोपामुद्रा, घोषा, शाची, पौलोमी एवं काक्षावृती आदि। 
  • इसके पुरोहित के नाम होत्री है।
  • आठवें मंंडल में रावी नदी के किनारे हुए दस राजाओ के युद्ध का भी वर्णन हैं |  


यजुर्वेद

  • यजु का अर्थ होता है यज्ञ। इसमें धनुर्विद्या व कर्मकांड का उल्लेख है।
  • यजुर्वेद की भाषा पद्यात्मक एवं गद्यात्मक दोनों है।
  • यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं- कृष्ण यजुर्वेद तथा शुक्ल यजुर्वेद
  • इसके पाठकर्ता को अध्वर्यु (यज्ञ करानेवाला पुरोहित) कहते हैं।
  • यजुर्वेद वेद में यज्ञ की विधियों का वर्णन किया गया है।
  • कृष्ण यजुर्वेद की चार शाखाएं हैं- मैत्रायणी संहिता, काठक संहिता, कपिन्थल तथा संहिता।
  • शुक्ल यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं- मध्यान्दीन तथा कण्व संहिता।
  • यह 40 अध्यायों में विभाजित है।
  • इसी ग्रन्थ में पहली बार राजसूय तथा वाजपेय जैसे दो राजकीय समारोह का उल्लेख है।


सामवेद

  • संगीत की सबसे प्राचीन पुस्तक मानीं जाती हैं | 
  • सामवेद की रचना ऋग्वेद में दिए गए मंत्रों को गाने योग्य बनाने हेतु की गयी थी।
  • इसमे 1810 छंद हैं जिनमें 75 को छोड़कर शेष सभी ऋग्वेद में उल्लेखित हैं।
  • सामवेद तीन शाखाओं में विभक्त है- कौथुम, राणायनीय और जैमनीय।
  • सामवेद को भारत की प्रथम संगीतात्मक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है।
  • अधुनिक विद्वान् भी इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मन्त्र, स्वर-चिकित्सा, राग नृत्य मुद्रा, भाव आदि सामवेद से ही निकले हैं।


आयुर्वेद

  • आयुर्वेद (आयुः + वेद = आयुर्वेद) ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’।
  • विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। 
  • आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन दोषों (त्रिदोष = वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को रोग का कारण मानते हैं।
  • इस शास्त्र के आचार्य अश्विनीकुमार माने जाते हैं।
  • पहले शल्यचिकित्स्क सुश्रुत (Sushruta) माने जाते हैं ।



ऋग्वैदिक काल 


ऋग्वेद काल में आर्यो का क्षेत्र सप्तसिंधु माना जाता हैं |


ऋग्वेद काल भी दो भागों में विभाजित किया जाता हैं -

  • ऋग्वेद काल (1500 - 1000 ई.पू. )
  • उत्तर ऋग्वेद काल  (1000 - 600 ई.पू. )


वैदिक काल में राजनैतिक स्थिति


  • क्षेत्र         - मुखिया 
  • राष्ट्र(देश)     - राजन (राजन)
  • जन(राज्य)  - गोपा 
  • विश (जिला) - विशपति 
  • ग्राम  - ग्रामिणी 
  • कुल(परिवार) - कुलपा 


राजा के समर्थक 


  • पुरोहित
  • सेनानी
  • ग्रामिणी

  • विधानसभा के सदस्य 

    • सभा - वरिष्ठ नागरिक
    • समिति - सामान्य लोग 
    • विधाता - सबसे पुरानी सभा 
    • गण - इसके विषय में कोई जानकरी प्राप्त नहीं हैं 


    धार्मिक स्थिति 

    • इन्द्र - पुरन्दर (सर्वोच्च)
    • अग्नि - देव मध्यस्थ का देवता
    • वरुण देव  - ऋतु (नैतिक मुल्य)


    सामजिक स्थिति 

    • पितृ प्रधान समाज 
    • घुमन्तु समुदाय 
    • महिलाओ की स्थिति अच्छी थी 


    आर्थिक स्थिति 

    • टैक्स - बाली (राजा को उपहार के रूप में दिया जाता था)
    • प्राथमिक स्तर - मुख्य सम्पत्ति गाये (Cow)
    • द्वितीय स्तर - खेती

    उत्तरवैदिक काल - Later Vedic Age

    • ऋग्वैदिक काल में आर्यों का निवास स्थान सिंधु तथा सरस्वती नदियों के बीच में था। बाद में वे सम्पूर्ण उत्तर भारत में फ़ैल चुके थे। सभ्यता का मुख्य क्षेत्र गंगा और उसकी सहायक नदियों का मैदान हो गया था।
    • गंगा को आज भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस काल में विश् का विस्तार होता गया और कई जन विलुप्त हो गए। भरत, त्रित्सु और तुर्वस जैसे जन् राजनीतिक हलकों से ग़ायब हो गए जबकि पुरू पहले से अधिक शक्तिशाली हो गए।
    • पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ नए राज्यों का विकास हो गया था, जैसे - काशी, कोसल, विदेह (मिथिला), मगध और अंग।
    • ऋग्वैदिक काल में सरस्वती नदी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ग॓गा का एक बार और यमुना नदी का उल्लेख तीन बार हुआ है। इस काल मे कौसाम्बी नगर मे॓ पहली बार पक्की ईटो का प्रयोग किया गया। इस काल मे वर्ण व्यवसाय के बजाय जन्म के आधार पे निर्धारित होने लगे।


    राजनैतिक व्यवस्था


    स्थिति शासन का नाम शासन का प्रधान

    पूर्व          साम्राज्य         सम्राट

    मध्य         राज्य         राजा

    पश्चिमी         स्वराज्य         स्वराट

    उत्तर वैराज्य विराट

    दक्षिण भोज्य भोज



    धार्मिक व्यवस्था

    • उत्तर वैदिक काल में धर्म का प्रमुख आधार यज्ञ बन गया, जबकि इसके पूर्वज ऋग्वैदिक काल में स्तुति और आराधना को महत्व दिया जाता था।
    • उत्तर वैदिक काल में मूर्ति पूजा के आरंभ होने के कुछ संकेत मिलते हैं।
    • यज्ञ आदि कर्मकांडो का महत्त्व इस युग में बढ़ गया था। इसके साथ ही आनेकानेक मन्त्र विधियाँ एवं अनुष्ठान प्रचलित हुए।
    • स काल मेंऋग्वैदिक देवता इंद्र, अग्नि और वायु रूप महत्वहीन हो गए। इनका स्थान प्रजापति, विष्णु और रूद्र ने ले लिया।

    सामजिक स्थिति 

    • उत्तर वैदिक काल में समाज स्पष्ट रूप से चार वर्णों में विभक्त था - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
    • इस काल में ब्राह्मणों ने समाज में अपनी श्रेष्ठता स्थापित कर ली थी।
    • स्त्रियों की स्थिति सम्मानजनक नहीं थी।
    • पितृ प्रधान समाज था |मुख्यत समाज कृषि पर आश्रित था।


    आर्थिक स्थिति 

    • कर (टैक्स) i बाली 

    ii भाग 

    • कर अधिकारी i भागदुथ 

    ii संग्रहित

    • प्राथिमक स्तर खेती 
    • द्वितीय स्तर पशुपालन 





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